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कृषि अध्यादेश

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कृषि अध्यादेश 1) कृषि उत्पाद ट्रेड एंड  कॉमर्स :- इस कानून के पक्ष में सरकार का सीधा कहना है कि मार्केट को ओपन करने से व्यापारियों में प्रतियोगिता बढ़ेगी जिसका फायदा किसानों को मिलेगा   जबकि यह सब कुछ इतना आसान होता तो भारत मे समर्थन मूल्य की अवधारणा ही जन्म नही लेती ।   आज सरकार समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी से भारी परेशान है कारण उसका यह है कि समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी मैं सरकार का बहुत बड़ा पैसा फस जाता है और वर्तमान में सरकार किसी भी तरीके से इस झंझट से बाहर आना चाहती है   दूसरा खरीदी के बाद भंडारण और परिवहन की पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण करोड़ों अरबों रुपए का अनाज खुले में रखा हुआ या तो सड़ जाता है या खराब हो जाता है या चूहे या कीट खा जाते हैं इसका परिणाम यह होता है कि जब सरकार इस अनाज को व्यापारियों को बेचने जाती है तो फिर वह अनाज बहुत ही कम कीमत में बाजार में बिकता है  इस पूरे परिदृश्य में दिक्कत  यह है कि जो नीति निर्धारक है उनको जमीनी स्तर की वस्तु स्थिति नही पता  होती है इनके सोचने में और जमीन की हकीकत के बीच में गैप है  जैसे कि किसान को फसल कटाई के तुरंत बाद बेच